किसी राष्ट्र की पहचान उसकी सीमा, एक नाम, एक ध्वज या एक मुद्रा के अलावा जो एक देश को एक सम्मानजनक और अद्वितीय राष्ट्र बनाता है, वह उसकी राष्ट्रीय भाषा है।
दरअसल, राष्ट्रीय भाषा एक स्पष्ट संकेतक है, जो किसी देश की राष्ट्रीय पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही यह एक संवेदनशील मुद्दा है। यह एक राष्ट्र और एक व्यक्ति की विरासत का भी हिस्सा है। किसी समुदाय को गहराई से समझने और उसमें प्रवेश के लिए हमें व्यक्तिगत रूप से उस समुदाय की भाषा को बोलने और समझने में सक्षम होना चाहिए। एक इंसान तब तक अपनी बातों और विचारों को एक बड़े समुदाय में नहीं बांट सकता जब तक उसे एक वैश्विक भाषा का ज्ञान नहीं हो।
आप फिलहाल दुनिया की बात छोड़ दें, सिर्फ भारतीय इतिहास को देखें, तो पायेंगे कि जितने भी महान लोग हुए चाहे वो विवेकानंद हो, रविंद्रनाथ टैगोर, राजाराम मोह रॉय, पंडित नेहरू, महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, डॉक्टर अम्बेडकर, भगत सिंह, आदि जैसे ज्यादातर लोग जिन्होंने भारतीयता के विकास में योगदान दिया वे भारतीय संदर्भ का जितना ज्ञान रखते थें उतनी ही उनमें वैश्विक जागरूकता थी। इसलिए मुझे लगता है, हर भारतीय को एक वैश्विक भाषा खासकर अंग्रेजी का ज्ञान होना चाहिए।
परन्तु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रभाषा लोगों की एकता के पीछे एक प्रेरणा शक्ति है और उन्हें अन्य देशों से अलग बनाती हैं। बशर्ते आप अपनी भाषा का सम्मान करें।
राष्ट्रीय भाषा को सम्मान देने का अर्थ है कि यह एक प्राथमिक भाषा होनी चाहिए साथ ही यह हर स्तर पर संचार का पसंदीदा स्रोत होना चाहिए। भले ही किसी को जितनी भी भाषाएं आए या सीखनी चाहिए लेकिन हर किसी को अपनी भाषा का उपयोग करना चाहिए।
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इतिहास साबित करता है कि हर महान नेता ने राष्ट्रीय भाषा को मजबूत करने की पूरी कोशिश की। चीन के क्रांतिकारी नेता ‘जेडॉन्ग माओ‘ का अपनी भाषा के प्रति बहुत सम्मान था। उन्होंने कभी उसका इस्तेमाल नहीं किया और अपनी संचार माध्यम के रूप में चीनी का उपयोग करना पसंद किया। महात्मा गांधी ने 1917 में भरूच में गुजरात शैक्षिक सम्मेलन मैं अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रभाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि हिंदी ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है।
राष्ट्रीय भाषा के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि बांग्लादेश में पाकिस्तान के एक हिस्से के अलग होने के लिए भाषा आंदोलन को भी आधार माना जाता है। इसलिए किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा के रुप में बिना किसी दवाब के आगे बढ़ाया जाए तो यह आसान हो जायेगी।
दक्षिण भारतीय राज्यों में भी अब लोग हिंदी को महत्व देने लगे हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि किसी भाषा को थोपने के बजाय उसे लोकप्रिय बनाने और व्यवहार में लाये जाने पर काम करना चाहिए।
इस दिशा में आजादी के पूर्व और बाद भी कई फैसले लिए गए।
- अप्रैल 2017 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसदीय राजभाषा समिति की एक सिफारिश को स्वीकार किया, जिसमें यह बात बताता है कि राष्ट्रपति और ऐसे सभी मंत्रियों और अधिकारियों को हिंदी में ही भाषण देना चाहिए और बयान जारी करना चाहिए जो हिंदी पढ़ और बोल सकते हैं। इस इस समिति ने हिंदी को लोकप्रिय बनाने के तरीकों पर 117 सिफारिशें दी थी।
- मई 2018 में अखिल भारतीय तकनीकी परिषद ने हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग की शिक्षा की अनुमति दी।
- 17 जुलाई 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने सभी निर्णयों का हिंदी या अन्य पांच भारतीय भाषाओं (असमिया, कन्नड़, मराठी, ओडिया एवं तेलुगू) में अनुवाद प्रदान करना आरंभ किया।
हिंदी को UN में एक आधिकारिक भाषा बनाने में क्या दिक्कतें हैं?
हिंदी एक काफी महत्वपूर्ण भाषा है और यह भारत की आधिकारिक भाषा भी है। यह Suriname, Mauritius, Trinidad, Tabago और Guyana में भी बोली जाती है।
पर समस्या यहां यह आता है कि अगर भारत इसे यूएन में एक आधिकारिक भाषा बनाता है तो, UN के रुल्स के मुताबिक इनके कुल 193 सदस्य देशों में से 129 देशों का समर्थन चाहिए होगा। अगर भारत इसे हासिल कर भी लेता है तो दूसरी बात यह है कि फिर इनके रिप्रजेंटेटिव को बहुत से डॉक्यूमेंट हिंदी में ट्रांसलेट करने पड़ेंगे और इसके लिए पैसे की आवश्यकता होगी।
परन्तु बहुत ऐसे देश हैं जिनका बजट बहुत कम है जो ट्रांसलेट के लिए पैसे ऑफर नही कर सकती। भारत इसके लिए पैसे भी ऑफर कर सकता है। परन्तु यूएन के नियम यह कहता है कि कोई भी देश किसी भाषा को प्रमोट करने के लिए पैसे नहीं दे सकती। मुख्य बात यह भी हैं कि जब हिंदी भारत की ही राष्ट्र भाषा नहीं बन पा रही है तो UN की भाषा बनाने पर कम जोर दिया जा रहा। क्योंकि अगर यह बन जाता है तो फिर यह आवश्यक हो सकता है कि प्रत्येक UN भारतीय अधिकारी या राजनेता को हिंदी में बोलनी आनी चाहिए। इसलिए अभी इसपर ज्यादा विचार नहीं किया जा रहा। इसे पहले देश में और प्रचारित करने की जरुरत है।
बहुत अच्छा पोस्ट है. आज हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने दूसरी भाषा बन गई है.
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Very nicely, all points are covered..we should speak international language English but along with give respect and speak Hindi language as well..
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